कुछ वक़्त पहले तक मैं भी बाबा रामदेव को पसंद करता था, परन्तु उन्होंने जिस तरह छल का प्रपंच रचा उससे ये साबित हो गया की ये शख्स cheat है....
इस बाबा ने न सिर्फ सरकार को बल्कि अपने साथ खड़े लोगों को भी ठगा, एअरपोर्ट पर जब चार मंत्री बाबा से मिलने गए थे तब ही से बाबा ने चालाकी शुरू कर दी थी. क्योंकि ४ में से दो मंत्रीयों का तो ये मानना था की अगर बाबा समझौता नहीं करते है तो इसको गिरफ्तार कर लिया जाये, जब बाबा को लगा की खेल यंही ख़त्म हो जायेगा तो चाल खेलते हुए एअरपोर्ट पर सरकार को अपने करीबी बालकृष्ण से लिखवा कर एक चिट्ठी दे दी और कहा की हम दो दिन का तप करेंगे, फिर जब अनशन पर बैठे तो फिर शाम को केंद्र से चर्चा कर अनशन तोड़ने का आश्वासन दिया. पर जब रामलीला मैदान पहुंचे तो अपनी बात से पलट गए और राजनितिक भाषण देने लगे.जिसने भी वो भाषण सुना होगा वो जानता है की वो भाषण सच में भड़काऊ था.
ज़रा ये सोचिये की अन्ना हजारे के साथ ऐसा क्यों नहीं किया गया था, इसकी वजह ये थी अन्ना हजारे साफ़ छवि के व्यक्ति है और उनका कोई राजनीतिक alignment नहीं है. अन्ना की क्या मांगे थीं वो इन्टरनेट और सभी जगह खुले तौर पर मौजूद थीं और सब कुछ पारदर्शी था, वन्ही बाबा रामदेव की सभी मांगे क्या थीं ये आम आदमी तो जानता ही नहीं है. सच तो ये है की इनमे से अधिकतर मांगे न तर्कसंगत थीं और न ही त्वरित निर्णय करने लायक. कुछ मांगो को मानने के लिए तो संविधान तक में परिवर्तन करना पड़ता.
बाबा रामदेव यदि इतने ही अच्छे हैं तो अपनी 100 से अधिक कंपनियों को नियमों के तहत क्यों नहीं चलाते. पहले कहते थे की मुझे राजनीती में नहीं आना पर फिर राजनीतिक पार्टी क्यों शुरू की? अपने भक्तो और साथियों की इतनी ही चिंता थी तो औरतों के साथ औरत के भेष में धरना स्थल से क्यों भाग रहे थे? हम तो उनका दम तब मानते अगर वो वन्ही डटकर सामना करते. हरिद्वार जाकर रोकर देश को अपना दुखड़ा नहीं सुनाते. और जो शख्स अपनी बात पर अटल नहीं रह सकता उसकी बात का क्या भरोसा? अब जब लग रहा है की आन्दोलन की हवा निकल चुकी है तो आज ये कह रहे है की मैं केंद्र सरकार को माफ़ करता हूँ.
और जंहा तक उनके followers की बात है, कुछ लोगों को तो सदा एक भेड़ चाहिए जिसे वो follow कर सकें. इस देश के लोग व्यक्तिगत प्रयास में भरोसा नहीं रखते सदा सर्वदा से एक अवतार की आशा में रहते हैं जो इन्हें इनके कष्टों से छुटकारा दिलाये. तो भक्तों! आँखें खोलो और देखो कैसा छलिया है ये बाबा...
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